Wonder Girl जाह्नवी पंवार: 9 भाषाओं की मास्टर और 20 में पीएचडी – प्रतिभा या परिश्रम?
🌟 परिचय: उम्र भले ही कम थी, लेकिन हौसले आसमान से भी ऊंचे थे – जाह्नवी पंवार की प्रेरणादायक कहानी
इस
भागती-दौड़ती दुनिया में, जहां अक्सर बच्चों को मोबाइल और सोशल मीडिया की लत में उलझा
पाया जाता है, एक बच्ची ऐसी भी थी जिसने दुनिया को यह दिखा दिया कि अगर इरादा पक्का हो,
तो उम्र महज़ एक
संख्या है। हम बात कर रहे हैं हरियाणा की 'वंडर गर्ल' जाह्नवी पंवार की
– जिसने अपने असाधारण टैलेंट और मेहनत से न सिर्फ देशभर में नाम कमाया, बल्कि लाखों युवाओं के
लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।
जहां एक आम
बच्चा 10 साल
की उम्र में खेल-कूद और टीवी में मगन होता है, वहां जाह्नवी ने 9 साल की उम्र में 10वीं कक्षा पास कर ली,
और 13 की उम्र में TEDx
जैसे इंटरनेशनल
प्लेटफॉर्म पर पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने 9 से ज्यादा भाषाएं सीखी
हैं, IAS बनने
का सपना देखा है, और आज वे एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में देश के कोने-कोने में अपनी सोच का
उजाला फैला रही हैं।
जाह्नवी की
कहानी सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि एक सोच की है — जो यह बताती है
कि यदि परिवार का साथ हो, और अपने सपनों पर यकीन हो,
तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
📌 आइए, इस लेख में आगे हम विस्तार से
जानते हैं जाह्नवी पंवार की शिक्षा, परिवार, भाषाई क्षमता, करियर और उनके मोटिवेशनल
सफर के बारे में।
🧠 विज्ञान क्या कहता है?
– "प्रतिभा"
और "परिश्रम" का संबंध
जब हम जाह्नवी
पंवार जैसी विलक्षण प्रतिभाओं को देखते हैं, तो मन में सबसे पहला सवाल उठता
है — क्या ये प्रतिभा जन्मजात होती है या लगातार मेहनत और अभ्यास
से विकसित होती है? इस सवाल का उत्तर
विज्ञान ने वर्षों की रिसर्च और न्यूरोलॉजिकल स्टडीज़ के आधार पर देने की कोशिश की
है।
📌 1. Parieto-Frontal Integration Theory
(P-FIT)
P-FIT थ्योरी
के अनुसार, एक व्यक्ति की बुद्धिमत्ता (intelligence)
मुख्य रूप से
दिमाग के prefrontal
और parietal हिस्सों के बीच बेहतर
सूचना-संचार नेटवर्क (neural connectivity) पर आधारित होती है।
·
यह थ्योरी बताती है कि बुद्धिमान
लोग जानकारी को तेजी से प्रोसेस, संगठित,
और सृजनात्मक
तरीके से उपयोग करने में कुशल होते हैं।
·
रिसर्चर्स ने पाया कि इस
प्रक्रिया को केवल genes से नहीं,
बल्कि सीखने,
अनुभव,
और
अभ्यास से भी प्रभावित किया जा सकता है।
❝ यानी बुद्धि एक स्थायी चीज़ नहीं, बल्कि एक विकसित होने वाला
कौशल है – और यही बात जाह्नवी के मामले में सिद्ध होती है। ❞
📌 2. Neuroplasticity – दिमाग की ढलने की क्षमता
Neuroplasticity का अर्थ है कि हमारा दिमाग नए अनुभवों, आदतों और अभ्यास के अनुसार अपनी
संरचना और कार्यप्रणाली बदल सकता है।
·
जाह्नवी ने बहुत कम उम्र से ही YouTube,
BBC जैसे मीडिया
चैनलों से अंग्रेजी उच्चारण सीखे।
·
रोज़ाना नई शब्दावली, आवाज़ों की पहचान और
भाषाई अभ्यास ने उनके दिमाग के language
learning circuits को असाधारण रूप से मजबूत किया।
उदाहरण: यदि
कोई बच्चा रोज़ 2 घंटे ऐसे वातावरण में व्यतीत करे जहाँ नई भाषाएं, कठिन शब्द, और बौद्धिक चुनौतियाँ
हों, तो
उनका दिमाग खुद को उसी स्तर पर ढालने लगता है।
🔍 निष्कर्ष इस बिंदु का:
·
जाह्नवी का तेज़ दिमाग और उनकी
उपलब्धियाँ किसी "जादुई गिफ्ट" का परिणाम नहीं हैं।
·
बल्कि यह साबित करता है कि दिमाग
को आकार दिया जा सकता है, और अगर एक बच्चे को सही एक्सपोज़र,
प्रेरणा,
और अभ्यास
का माहौल मिले, तो वह असाधारण बन सकता है।
🏃♀️
परिश्रम और अभ्यास
की भूमिका – सफलता का असली इंजन
जाह्नवी पंवार
की सफलता को केवल “गॉड-गिफ्टेड” कह देना उनकी मेहनत और समर्पण के साथ अन्याय होगा। विज्ञान
यह स्पष्ट करता है कि प्रतिभा केवल एक बीज है,
लेकिन
उस बीज को बड़ा पेड़ बनाने के लिए निरंतर अभ्यास और अनुशासन ज़रूरी है।
📌 1. "Deliberate Practice" – सोच-समझकर किया गया
अभ्यास
प्रसिद्ध
मनोवैज्ञानिक K. Anders Ericsson
के अनुसार,
असाधारण प्रदर्शन
के पीछे सचेत और केंद्रित अभ्यास (deliberate
practice) होता है – न कि केवल घंटे गिनना।
·
इस अभ्यास में व्यक्ति अपनी
कमजोरियों पर ध्यान देता है, फीडबैक लेता है, और लगातार सुधार करता है।
·
जाह्नवी ने भाषा, उच्चारण, लेखन, और सार्वजनिक बोलने में
खुद को हर दिन ट्रेन किया, और यही उन्हें भीड़ से अलग करता
है।
उदाहरण: उन्होंने सिर्फ पढ़ा नहीं, बल्कि खुद को भाषण देना, किताबें लिखना, और कॉलेज के स्टूडेंट्स को पढ़ाना सिखाया — यह एक्टिव लेर्निंग का स्पष्ट उदाहरण है।
📌 2. "10,000 Hours Rule" – सच्चाई और भ्रम
लेखक Malcolm Gladwell ने अपनी किताब Outliers में दावा किया कि किसी भी
क्षेत्र में माहिर बनने के लिए 10,000 घंटे की मेहनत चाहिए होती है।
हालांकि यह
नियम कुछ हद तक oversimplified है, फिर भी इससे एक बात तो साफ होती है:
❝ लगातार और उद्देश्यपूर्ण अभ्यास, बिना रुके और बिना घबराए,
ही व्यक्ति को
असाधारण बनाता है। ❞
जाह्नवी का जीवन इसकी मिसाल है – उन्होंने बचपन से लेकर आज तक हर दिन कुछ नया सीखा, खुद को चुनौती दी, और हर मौके पर अपनी सीमाओं को पीछे छोड़ा।
📌 3. “Growth Mindset” – मन की शक्ति
Dr. Carol Dweck की "Growth Mindset" थ्योरी बताती है कि जो
लोग यह मानते हैं कि उनकी क्षमताएँ अभ्यास और सीखने से बढ़ सकती हैं, वे हमेशा बेहतर करते
हैं।
·
जाह्नवी हर असफलता या कठिन सवाल
को सीखने का अवसर मानती हैं।
· यही मानसिकता उन्हें बार-बार बेहतर बनने की प्रेरणा देती है।
🔍 निष्कर्ष इस बिंदु का:
·
जाह्नवी का सफर यह दिखाता है कि
प्रतिभा के साथ अगर अनुशासन, दृढ़ संकल्प,
और लगातार
अभ्यास जुड़ जाए, तो इंसान किसी भी ऊँचाई को छू सकता है।
·
उनकी सफलता एक नियमित
अभ्यास, मानसिक शक्ति और सकारात्मक सोच का
नतीजा है — और यह हर बच्चे में विकसित किया जा सकता है।
भाग 1: परिचय — 'वंडर गर्ल' जाह्नवी पंवार की प्रेरणादायक कहानी
जब बात असाधारण
प्रतिभा की होती है, तो जाह्नवी पंवार का नाम सबसे पहले आता है। मात्र 21
साल की उम्र में IIT दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पीएचडी स्कॉलर बनना किसी सपने से कम नहीं। लेकिन यह कोई एक दिन की सफलता नहीं
थी — यह उस लगातार मेहनत, समर्पण और मानसिक दृढ़ता का नतीजा है जो उन्होंने बचपन से
दिखाया।
हरियाणा के समालखा
जैसे छोटे शहर से निकलकर, जाह्नवी ने अपनी
शैक्षणिक यात्रा को एक मिशन में बदल दिया। वे केवल एक मेधावी छात्रा नहीं हैं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रेरणा,
एक जीवित उदाहरण हैं कि अगर इरादे मजबूत
हों तो उम्र, संसाधन, या माहौल—कुछ भी आपके सपनों की राह नहीं रोक सकता।
आज उन्हें पूरे
भारत में "वंडर गर्ल" कहा जाता है,
लेकिन इस नाम के पीछे छुपी है वर्षों की
अनवरत मेहनत, मानसिक लचीलापन और वैज्ञानिकी रूप से सिद्ध तेज बुद्धि (Cognitive Excellence) — जिसे समझना और जानना जरूरी है।
👉 अगले भाग में
पढ़िए:
"2. असाधारण दिमाग की
वैज्ञानिक व्याख्या: क्या जाह्नवी 'गिफ्टेड चाइल्ड'
हैं?"
भाग 2: असाधारण दिमाग की वैज्ञानिक व्याख्या – क्या जाह्नवी 'गिफ्टेड चाइल्ड' हैं?
जाह्नवी पंवार को देखकर ये सवाल उठना स्वाभाविक है – क्या वो किसी विशेष जन्मजात प्रतिभा (Giftedness) के साथ पैदा हुईं? या ये सब उनके निरंतर अभ्यास और प्रयासों का परिणाम है? इसका उत्तर विज्ञान हमें दो भागों में देता है: जैविक (Biological) क्षमता और पर्यावरणीय (Environmental) प्रशिक्षण।
🧠 1. हाई IQ और न्यूरोकॉग्निटिव प्रोसेसिंग:
"गिफ्टेड चिल्ड्रन" यानी असाधारण बुद्धि वाले बच्चों का IQ सामान्य से कहीं अधिक होता है (130+)। ऐसी प्रतिभा में information processing speed, long-term memory, और problem-solving की क्षमता अत्यधिक तीव्र होती है।
जाह्नवी ने मात्र 8 साल की उम्र में 10वीं, और 13 साल में 12वीं पास कर ली। यह उनकी तेज़ cognitive maturity और अत्यधिक information retention का स्पष्ट संकेत है।
📚 Source:
· American Psychological Association on Gifted Children: https://www.apa.org/topics/gifted-children
· NIH – Cognitive Development and Intelligence in Gifted Youth: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3025304
🧬 2. न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) और पर्यावरण:
हालांकि जन्मजात क्षमता एक भूमिका निभाती है, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि environment + repetition दिमाग की संरचना को भी बदल सकता है — इसे ही न्यूरोप्लास्टिसिटी कहा जाता है।
जाह्नवी ने 13 भाषाओं में दक्षता पाई है। यह संकेत है कि उन्होंने अपने मस्तिष्क को निरंतर प्रशिक्षित किया, जिससे उसकी linguistic neural networks अधिक मजबूत हुईं।
📚 Source:
· Harvard Center on the Developing Child – Neuroplasticity: https://developingchild.harvard.edu/science/key-concepts/brain-architecture
✨ निष्कर्ष:
इसका अर्थ यह नहीं कि जाह्नवी की सफलता केवल जन्मजात प्रतिभा का नतीजा है। बल्कि, उन्होंने अपनी संभावनाओं को लगातार अभ्यास, अनुशासन और सपनों के प्रति प्रतिबद्धता से तराशा। यही असली “गिफ्टेडनेस” है।
👉 क्या आप अगला भाग "जाह्नवी की उपलब्धियाँ और बचपन की उपलब्धियाँ" पढ़ना चाहेंगे?
भाग 2: असाधारण दिमाग की वैज्ञानिक व्याख्या — क्या जाह्नवी 'गिफ्टेड चाइल्ड' हैं?
जाह्नवी पंवार
की उपलब्धियां देखकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है — क्या उनके पास कोई
"इनबिल्ट टैलेंट" है? या ये सब केवल अभ्यास और अनुशासन
का परिणाम है?
👉 विज्ञान इस सवाल का जवाब “दोनों” में देता है — कुछ बच्चों में जन्मजात क्षमताएं (Giftedness) होती हैं, लेकिन उन्हें निखारने के लिए सही पर्यावरण, मार्गदर्शन और मेहनत भी ज़रूरी होती है।
🧠 1. गिफ्टेड चाइल्ड की
विशेषताएं (Scientific Basis)
शोधकर्ताओं के
अनुसार, गिफ्टेड बच्चों में ये खूबियाँ पाई जाती हैं:
·
सामान्य से
बहुत
तेज़ समझने की क्षमता (High Processing Speed)
·
कम उम्र में अब्स्ट्रैक्ट और लॉजिकल सोच का विकास
·
शब्दों, भाषाओं और संख्याओं के प्रति
तीव्र रुचि
·
अपने आप सीखने की प्रवृत्ति (Autodidactic
behavior)
📚 स्रोत: National Association for Gifted Children
(NAGC), USA
🔗
https://www.nagc.org/resources-publications/resources/what-giftedness
🔬 2. जाह्नवी पंवार में यह विशेषताएं कैसे दिखीं?
विशेषता |
जाह्नवी का उदाहरण |
भाषाई कौशल |
9 साल की उम्र में 8 भाषाओं में पारंगत |
अकादमिक तेज़ी |
13 साल में 12वीं पास, 14 साल में BA |
अब्स्ट्रैक्ट सोच |
News anchor की तरह बहस और संवाद क्षमता |
आत्म-अध्ययन |
YouTube से भाषाएं और साइंस खुद सीखी |
🧬 3. न्यूरोसाइंस क्या कहता
है?
मस्तिष्क
विज्ञान (Neuroscience) के अनुसार, गिफ्टेड बच्चों का Prefrontal Cortex ज़्यादा सक्रिय होता
है, जिससे
वो:
·
ज़्यादा जटिल बातें जल्दी समझते
हैं
·
ध्यान केंद्रित रखने में बेहतर
होते हैं
·
बहु-कार्य (Multitasking)
कर सकते हैं
📖 स्रोत: "The Neuroscience of Giftedness"
– Scientific American Mind
🔗
https://www.scientificamerican.com/article/the-neuroscience-of-gifted-children/
निष्कर्ष:
जाह्नवी पंवार का
असाधारण दिमाग सिर्फ एक चमत्कार नहीं है — यह एक गिफ्टेड ब्रेन और मेहनती
माइंडसेट का अद्भुत संगम है।
भाग 2.1:
असाधारण दिमाग की वैज्ञानिक व्याख्या — क्या जाह्नवी ‘गिफ्टेड चाइल्ड’ हैं?
जाह्नवी पंवार
की कहानी को सिर्फ "संयोग" या "किस्मत" कहकर टाल देना एक बहुत
बड़ी चूक होगी। उनके प्रदर्शन और उपलब्धियां मनोविज्ञान और तंत्रिका-विज्ञान (neuroscience)
के दृष्टिकोण से
भी विशेष महत्व रखती हैं।
🔬 क्या है गिफ्टेड चाइल्ड?
विज्ञान के अनुसार,
गिफ्टेड
चाइल्ड वे होते हैं जिनकी बौद्धिक क्षमता (IQ), स्मरण शक्ति, तर्क-शक्ति, और भाषा ग्रहण करने की
शक्ति औसत बच्चों से कहीं अधिक होती है। National Association for Gifted
Children (NAGC) के
अनुसार, ऐसे
बच्चों का IQ 130 से अधिक होता है। हालांकि जाह्नवी का आधिकारिक IQ पब्लिक डोमेन में नहीं है,
लेकिन उनके कौशल
और उपलब्धियां इस स्तर से मेल खाती हैं।
📌 वैज्ञानिक संकेत जो जाह्नवी में दिखाई देते हैं:
1. Multiple Language Acquisition (भाषाओं की पकड़):
जाह्नवी मात्र 14
साल की उम्र में 9
भाषाएं बोलने में
सक्षम थीं — हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंच, उर्दू, पंजाबी, नेपाली, जापानी और स्पेनिश।
➤ यह संकेत करता है कि उनका ब्रोकाज एरिया और वर्निके एरिया (दिमाग के भाषा क्षेत्र) असाधारण रूप से विकसित हैं।
(स्रोत:
Neuroscience of Language, MIT Press)
2. High Processing Speed (तेज सूचना संसाधन क्षमता):
जाह्नवी के
साक्षात्कारों और जवाबों में स्पष्टता और तीव्रता देखने को मिलती है।
➤ इससे पता चलता है कि उनके दिमाग के prefrontal
cortex और working memory system का बेहतर विकास हुआ है।
3. Metacognition (स्व-ज्ञान की क्षमता):
उन्होंने कम उम्र
में ही अपनी पढ़ाई, योजना और समय प्रबंधन को स्वयं तय किया — यह metacognitive
skill है,
जो सामान्यतः
व्यस्कों में विकसित होती है।
🎓 क्या यह सब जन्मजात है या सीखा गया?
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण कहता है कि प्रतिभा और माहौल का संतुलन
(Nature + Nurture) ही किसी को असाधारण बनाता है। जाह्नवी के माता-पिता ने उनके कौशल को पहचाना और
सही दिशा में पोषित किया, जो उनकी असली ताकत बनी।
भाग 3: मेहनत और वातावरण – जाह्नवी की सफलता के पीछे की असली ताकत
जाह्नवी पंवार
की कहानी हमें यह सिखाती है कि असाधारण प्रतिभा के साथ-साथ परिश्रम, परिवार का सहयोग और एक
प्रेरक वातावरण भी उतने ही जरूरी हैं। वैज्ञानिक
शोध बताते हैं कि:
🔬 "Nature vs Nurture"
सिद्धांत के
अनुसार, किसी
व्यक्ति की प्रतिभा केवल जन्मजात (genetic) नहीं होती, बल्कि उसके पालन-पोषण,
अभ्यास और सामाजिक
परिस्थितियाँ भी उसकी सफलता को आकार देती हैं।
Source: McLeod, S. A. (2017). Nature vs nurture in psychology. Simply
Psychology.
💪 मेहनत की मिसाल:
·
जाह्नवी ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही कक्षा 10वीं पास
कर ली थी और 15 साल में 12वीं।
·
वे 9
भाषाओं में पारंगत हैं — और ये उन्होंने कोई सुपरपावर से
नहीं, बल्कि निरंतर अभ्यास और लगन से सीखा।
·
वे रोज़ाना घंटों पढ़ाई करती थीं
और उनका टाइम-टेबल एक प्रोफेशनल स्कॉलर जैसा था।
👨👩👧
परिवार का सहयोग:
·
उनके पिता, एक सरकारी शिक्षक हैं,
जो खुद भी शिक्षा
के महत्व को समझते थे।
·
उन्होंने जाह्नवी के लिए एक ऐसा
शैक्षणिक माहौल तैयार किया जिसमें जिज्ञासा को दबाया नहीं
गया बल्कि बढ़ावा मिला।
📚 प्रेरणादायक वातावरण:
·
जाह्नवी को हमेशा किताबें,
ज्ञानवर्धक वीडियो
और शैक्षिक प्रतिस्पर्धाओं से जोड़ा गया।
·
उनकी माँ ने उनके खानपान,
स्वास्थ्य और
नियमित दिनचर्या का विशेष ख्याल रखा।
👉 वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह स्पष्ट है कि जाह्नवी की सफलता में "Talent × Training × Trust" तीनों का योगदान है।
जाह्नवी न केवल
प्रतिभाशाली हैं, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और सही मार्गदर्शन से उस प्रतिभा को तराशा है।
भाग 4: आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा – जाह्नवी पंवार का संदेश
जाह्नवी पंवार की सफलता केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हर उस युवा के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को लेकर संघर्ष कर रहा है। उनका जीवन हमें ये पांच महत्वपूर्ण सबक देता है:
1. 🕒 उम्र कोई बाधा नहीं है
“कामयाबी का
कोई उम्र-सर्टिफिकेट नहीं होता।”
जाह्नवी ने महज 13
साल की उम्र में
दसवीं पास की और 15 में बारहवीं। ये बताता है कि अगर इरादा मजबूत हो,
तो उम्र केवल एक संख्या है।
2. 📚 पढ़ाई को बोझ नहीं, रोमांच समझो
जाह्नवी कहती
हैं कि “हर विषय एक नई दुनिया की खिड़की खोलता
है।”
आज की पीढ़ी को
पढ़ाई में जिज्ञासा और आनंद ढूंढना सीखना चाहिए,
न कि सिर्फ
मार्क्स का टारगेट।
3. 💬 भाषा सीखो, दुनिया से जुड़ो
उन्होंने 9
भाषाएं सीखीं — इससे
उनकी सोच का दायरा बढ़ा।
युवा अगर भाषाएं
सीखें, तो उनकी सोच, आत्मविश्वास और अवसर — तीनों में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है।
4. 👨👩👧👦
पैरेंट्स से बात
करना न छोड़ो
जाह्नवी का
परिवार उनकी रीढ़ रहा।
आज के यंगस्टर्स
को चाहिए कि वे अपने माता-पिता के साथ संवाद
बनाए रखें, सलाह लें, और उन्हें अपने सपनों में शामिल करें।
5. 🔥 सपनों को ज़िंदा रखो, हार मत मानो
जाह्नवी ने
छोटी उम्र से तय कर लिया था कि उन्हें "IAS" बनना है।
सपने बड़े देखो,
छोटी
शुरुआत करो, लेकिन बीच में कभी मत रुको।
📢 युवाओं के लिए संदेश:
“हर दिन एक नई
शुरुआत है। अगर जाह्नवी कर सकती है, तो आप भी कर सकते हैं — शर्त बस ये है कि आप खुद पर
भरोसा करें।”
– प्रेरित रहें,
प्रयास करते रहें,
और अपनी कहानी खुद
लिखें।
भाग 5: निष्कर्ष और Takeaway – मेहनत की मिसाल हैं जाह्नवी पंवार
जाह्नवी पंवार
की कहानी एक ऐसा आईना है जिसमें आज का हर युवा खुद को देख सकता है – अगर वो मेहनत
से, जिद से
और जुनून से आगे बढ़ना चाहता है। उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वो
संघर्ष,
परिवार का साथ, और आत्मविश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा
है।
उनकी सफलता ये
साबित करती है कि:
✅ अगर लक्ष्य स्पष्ट हो,
✅ अगर परिवार का समर्थन हो,
✅ और अगर खुद पर विश्वास हो,
तो कोई भी बाधा
बड़ी नहीं होती – ना उम्र, ना हालात और ना ही
संसाधनों की कमी।
🔑 Takeaway for Students &
Parents
👩🎓 बच्चों के लिए:
– डरें नहीं,
सवाल पूछें,
नई चीजें सीखने की
भूख बनाए रखें।
– हर असफलता एक
सबक है, और
हर दिन एक मौका।
👨👩👧
माता-पिता
के लिए:
– बच्चों को सिर्फ
अच्छे नंबर नहीं, अच्छे इंसान बनने के लिए प्रेरित करें।
– उनका साथ दें,
उनकी बात सुनें,
और उनकी सोच को
पंख दें।
🌟 याद रखें:
"जाह्नवी
पंवार जैसे बच्चे किसी चमत्कार से नहीं बनते,
वे बनते हैं सपनों,
मेहनत और सही
मार्गदर्शन से।"