पोस्ट सुनें

कम उम्र में बड़ी उड़ान: बच्चों के लिए सच्ची प्रेरणादायक कहानियाँ

 कम उम्र में बड़ी उड़ान: बच्चों के लिए सच्ची प्रेरणादायक कहानियाँ

Introduction (हिंदी में)

Kam Umar mein Bachhon ki Udaan
This is an AI-generated illustration for educational purposes only

आज का युग स्मार्टफोन, गेम्स, सोशल मीडिया और रील्स का युग बन चुका है। बच्चे अपनी सबसे कीमती चीज़ — "ध्यान और समय" — इन चीज़ों में खोते जा रहे हैं। लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो इन सब से ऊपर उठकर अपने सपनों की उड़ान भरते हैं।

ये वो बच्चे हैं जो कठिनाइयों से डरते नहीं, बल्कि उन्हें सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ते हैं। गरीबी, संसाधनों की कमी, या समाज की सोच — इन सबको मात देकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन और मेहनत के सामने कोई भी दीवार ज्यादा देर टिक नहीं सकती।

इस लेख में हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ असाधारण बच्चों की, जिन्होंने कम उम्र में बड़ी सफलता हासिल की — और आज की पीढ़ी के लिए असली रोल मॉडल बन गए हैं।


1. अंसार शेख: रिक्शा ड्राइवर का बेटा जो देश का सबसे युवा IAS बना

Ansar Shaikh IAS don of Auto Rkshaw Driver
This is an AI-generated illustration for educational purposes only

✍️ Story: 1

महाराष्ट्र के जालना जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले अंसार शेख का सपना आम बच्चों से कुछ अलग था। जहाँ बाकी बच्चे 21 की उम्र में कॉलेज के एग्जाम्स या जॉब की तैयारी कर रहे होते हैं, वहीं अंसार ने इस उम्र में भारत की सबसे कठिन परीक्षा — UPSC — पास कर ली।

उनके पिता एक रिक्शा चलाते थे और मां खेतों में मजदूरी करती थीं। गरीबी और शिक्षा की कमी ने उनके रास्ते में कई दीवारें खड़ी कीं, लेकिन अंसार ने हार नहीं मानी। उन्होंने बताया था कि वह रोज़ाना 12 घंटे पढ़ाई करते थे और उनके छोटे भाई अनीस ने स्कूल छोड़कर गैराज में काम किया ताकि अंसार की पढ़ाई रुके नहीं।

असंभव लगने वाले इस सफर का अंत 2015 में हुआ, जब उन्होंने पहले ही प्रयास में UPSC क्लियर किया और 361वीं रैंक हासिल की। वे केवल 21 वर्ष की उम्र में IAS बने, जो उस समय भारत के सबसे युवा IAS अधिकारियों में से एक थे। आज वे पश्चिम बंगाल कैडर में ADM (Additional District Magistrate) के पद पर कार्यरत हैं और हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

अंसार की कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और दिल में आग हो, तो हालात चाहे जैसे भी हों, सफलता आपके कदम चूमती है।


2. तिलक मेहता: 14 साल की उम्र में बना डाली करोड़ों की कंपनी

Tilak Mehta
This is an AI-generated illustration for educational purposes only

✍️ Story: 2

जब ज़्यादातर बच्चे 8वीं या 9वीं क्लास में होमवर्क और गेम्स में व्यस्त रहते हैं, तब Tilak Mehta ने मुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में एक ऐसा स्टार्टअप खड़ा किया जो लाखों लोगों के लिए मिसाल बन गया।

साल था 2018 — Tilak सिर्फ 13–14 साल के थे। एक दिन स्कूल से लौटते हुए उन्हें अपने पिता की थकान देखकर ख्याल आया:
"क्या ऐसा कोई तरीका नहीं हो सकता कि लोग छोटे-छोटे पार्सल या डॉक्यूमेंट एक-दूसरे तक उसी दिन पहुंचा सकें?"

यही ख्याल बना उनकी कंपनी "Papers n Parcels" की नींव।

उन्होंने मुंबई के फेमस डब्बावालों के नेटवर्क को टेक्नोलॉजी से जोड़ा, और एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जिससे कोई भी इंसान शहर में किसी भी डॉक्यूमेंट या छोटा सामान कुछ ही घंटों में भेज सके।

आज Tilak Mehta की कंपनी करोड़ों की वैल्यू रखती है। उन्हें कई बड़े अवॉर्ड और बिज़नेस समिट्स में सम्मान मिला है। सबसे खास बात — उन्होंने कभी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी, बल्कि पढ़ाई और बिज़नेस दोनों को बैलेंस किया।

Tilak की कहानी बताती है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। अगर सोच बड़ी हो और इरादा पक्का हो, तो बचपन में भी बड़े काम किए जा सकते हैं।


3. मलावत पूर्णा: 13 साल की आदिवासी लड़की जिसने फतह किया माउंट एवेरेस्ट

Malavath Poorna Maount Everest
This is an AI-generated illustration for educational purposes only

✍️ Story: 3

13 साल की उम्र में जब ज्यादातर लड़कियाँ स्कूल, खेल या घरेलू कामों में व्यस्त रहती हैं, उसी उम्र में Malavath Poorna ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी Mount Everest (8,848 मीटर) पर भारत का झंडा फहराकर इतिहास रच दिया।

Poorna का जन्म तेलंगाना के एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था। उनका गांव बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित था — न अच्छे स्कूल, न बिजली, न इंटरनेट। लेकिन इस बच्ची में था कुछ खास।

तेलंगाना की सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल स्कूल में पढ़ते हुए उन्होंने साहसिक गतिविधियों में गहरी रुचि दिखाई। उनके टैलेंट को पहचाना डॉ. आर. एस. प्रभाकर ने और उन्हें पर्वतारोहण की ट्रेनिंग दिलाई।

साल 2014 में, Poorna ने नेपाल रूट से चढ़ाई शुरू की और 25 मई को सुबह 6 बजे Mount Everest की चोटी पर पहुंचीं। इस तरह वो दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बन गईं जिन्होंने यह कारनामा किया।

उनकी कहानी पर एक फिल्म भी बनी है — "Poorna" (2017) जिसे राहुल बोस ने डायरेक्ट किया।

Poorna हमें ये सिखाती हैं कि अगर हालात मुश्किल हों भी, तो आत्मविश्वास और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है — चाहे वो कितना भी ऊंचा क्यों न हो।


4. कौटिल्य पंडित: पाँच साल की उम्र में बना ‘गूगल बॉय ऑफ इंडिया’

Kautalya the Google Boy
This is an AI-generated illustration for educational purposes only

✍️ Story: 4

जब किसी बच्चे से उसकी उम्र पूछी जाती है, वो अकसर उंगलियों पर गिनकर बताता है। लेकिन Kautilya Pandit ने सिर्फ 5 साल की उम्र में दुनिया के देश, उनकी राजधानियाँ, करेंसी, महासागर, ऐतिहासिक घटनाएं और यहां तक कि वैज्ञानिक तथ्य भी याद कर लिए थे।

हरियाणा के कोहंड गांव के रहने वाले Kautilya को यह असाधारण याददाश्त बचपन से ही मिली। उनके घरवाले जब उनके सवालों से परेशान होने लगे, तब उन्हें समझ में आया कि यह बच्चा सामान्य नहीं है। उनकी IQ स्कोर थी शानदार 130, जो एक जीनियस लेवल मानी जाती है।

उन्होंने कई नेशनल टीवी शो में भाग लिया, जैसे Kaun Banega Crorepati (KBC), जहां उन्होंने अमिताभ बच्चन को भी चौंका दिया। उन्हें गूगल बॉय का खिताब भी वहीं से मिला।

Kautilya सिर्फ याददाश्त में ही नहीं, बल्कि दुनिया को समझने के तरीके में भी बेहद परिपक्व हैं। आज वे देशभर में मोटिवेशनल स्पीच देते हैं और बच्चों को ज्ञान से दोस्ती करने की सलाह देते हैं।

उनकी कहानी हमें बताती है कि असली प्रतिभा उम्र नहीं देखती — बस सही मार्गदर्शन और एक प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है।


5. इन कहानियों से सीखें: कामयाबी के 5 सच्चे सबक

1. हालात नहीं, हौसला मायने रखता है

चाहे वो अंसार शेख की गरीबी हो या मलावत पूर्णा का आदिवासी बैकग्राउंड — अगर आपके इरादे मजबूत हों, तो कोई मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।

2. उम्र सिर्फ एक संख्या है

Tilak Mehta ने बिजनेस खड़ा किया, Poorna ने एवरेस्ट चढ़ा और Kautilya ने GK से देश को चौंकाया — सबने ये साबित किया कि सफलता के लिए उम्र कोई पैमाना नहीं।

3. पढ़ाई और सीखना कभी बंद न करें

सभी कहानियों में पढ़ाई को सबसे ऊपर रखा गया है। चाहे वो किताबों से हो या अनुभव से — सच्चे लीडर हमेशा सीखते रहते हैं।

4. परिवार और शिक्षक सबसे बड़ी ताकत होते हैं

हर सफल बच्चे के पीछे किसी न किसी का साथ रहा — मां-बाप, भाई, या शिक्षक। ये लोग आपके सपनों की नींव होते हैं।

5. मेहनत का कोई विकल्प नहीं

हर कहानी में एक बात कॉमन है — कड़ी मेहनत। दिन-रात की पढ़ाई, संघर्ष और समर्पण ही इन बच्चों को खास बनाता है।


🏁 निष्कर्ष (Conclusion)

आज का दौर अवसरों से भरा हुआ है, बस ज़रूरत है सही सोच और सच्ची मेहनत की। अगर अंसार, तिलक, पूर्णा और कौटिल्य जैसे बच्चे अपने हालात से लड़कर इतिहास लिख सकते हैं — तो आप भी कर सकते हैं

अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानिए, distractions को पीछे छोड़िए और एक बड़ा सपना देखिए। फिर देखिए, सफलता आपके कदम कैसे चूमती है।

याद रखिए — “छोटे सोच से बड़ा कुछ नहीं मिलता, और बड़ी सोच बिना मेहनत के पूरी नहीं होती।”


FAQs: बच्चों और पेरेंट्स के लिए ज़रूरी सवाल

Q1. क्या अंसार शेख सच में पहले प्रयास में IAS बने थे?
हाँ, उन्होंने 21 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में UPSC पास किया और 361वीं रैंक से IAS बने।

Q2. तिलक मेहता ने कितने साल की उम्र में कंपनी शुरू की थी?
उन्होंने 13–14 साल की उम्र में "Papers n Parcels" नाम से लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप शुरू किया।

Q3. क्या मलावत पूर्णा अब भी पर्वतारोहण कर रही हैं?
जी हाँ, वह अब एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं और युवाओं के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम भी करती हैं।

Q4. कौटिल्य पंडित अब क्या कर रहे हैं?
वो अब भी पढ़ाई कर रहे हैं और मोटिवेशनल सेशंस के ज़रिए छात्रों को ज्ञान से जोड़ते हैं।

Q5. क्या कम उम्र में भी बड़ा सपना देखना सही है?
बिलकुल! जितना जल्दी सपनों को पहचानेंगे, उतनी जल्दी मेहनत शुरू होगी — और उतनी जल्दी कामयाबी भी मिलेगी।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!