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माइक टायसन MIKE TYSON | बॉक्सिंग की दुनिया का बेताज बादशाह

माइक टायसन MIKE TYSON | बॉक्सिंग की दुनिया का बेताज बादशाह

Mike Tyson
Image Credit: https://invincible.in/

माइक टायसन, जिसे दुनिया "आयरन माइक" और "द बैडेस्ट मैन ऑन द प्लेनेट" के नाम से जानती है, बॉक्सिंग की दुनिया का एक ऐसा नाम है जिसने इस खेल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी ज़िंदगी संघर्ष और जद्दोजहद , कामयाबी, विवाद और प्रेरणा से भरी हुई है। आइए माइक टायसन के जिंदगी के मुख्तलिफ पहलुओं पर तफ्सील से बात करें।


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इब्तेदाई जिंदगी

माइक टायसन का जन्म 30 जून 1966 को ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में हुआ था। उनका बचपन काफी मुश्कीलों में बीता। उनके खानदान कि माली हालत कमजोर थी, और वे जुर्म और तशद्दूत से भरे माहौल में बड़े हुए। उनके वालेद ने उन को छोड़ दिया था, जिससे उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई।
कम उम्र में ही टायसन जुर्म की दुनिया में शामिल हो गए थे। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन इसी दौरान उन्होंने बॉक्सिंग में रुचि दिखानी शुरू की।

बॉक्सिंग करियर की शुरुआत

माइक टायसन का बॉक्सिंग करियर तब शुरू हुआ जब उन्हें कस्टामाटो नाम के प्रसिद्ध बॉक्सिंग ट्रेनर ने देखा। कस्टामाटो ने उनकी टॅलेंट को पहचाना और उन्हें ट्रेन किया। कस्टामाटो ने टायसन को न सिर्फ बॉक्सिंग के तकनीकी पहलुओं में जीनियस बनाया, बल्कि उनके खुद एतेमादी और नज्म व जप्त को भी मजबूत किया।
1985 में टायसन ने अपने पेशेवर बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की। अपने पहले ही मैच में उन्होंने जीत हासिल की और इसके बाद लगातार 19 मुकाबलों में नॉकआउट से जीत हासिल की।
 

Mike Tyson The Boxer
Image Credit: https://www.espn.com/

आलमी चैंपियन बनने का सफर

1986 में, केवल 20 साल की उम्र में, माइक टायसन ने ट्रेवर बर्बिक को हराकर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही वे सबसे कम उम्र के हैवीवेट चैंपियन बन गए।
उनकी बॉक्सिंग शैली बेहद जारेहाना और ताकतवर थी। उनके पंच इतने तेज और दुरुस्त होते थे कि मुखालीफ खिलाड़ी को संभलने का मौका ही नहीं मिलता था। 1987 में, उन्होंने तीन चीफ बॉक्सिंग बेल्ट (WBA, WBC, और IBF) जीतकर "अनडिस्प्यूटेड हैवीवेट चैंपियन" का खिताब हासिल किया।

तनाजे और मुश्किलात

टायसन कि जिंदगी जितनी कामयाब रही, उतनी ही तनाजात से भी घिरी रही। उनकी जारीहत सिर्फ रिंग तक मह्दुद नहीं थी। उनके जाती जिंदगी में भी कई तनाजे हुए।
1992 में, टायसन को रेप के इल्झाम में छह साल की सजा सुनाई गई, जिसमें से उन्होंने तीन साल जेल में बिताए। इस घटना ने उनके करियर को गहरा झटका दिया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने बॉक्सिंग में वापसी की, लेकिन पहले जैसी सफलता उन्हें नहीं मिल पाई।
1997 में, इवांडर होलीफील्ड के खिलाफ मुकाबले के दौरान, टायसन ने होलीफील्ड के कान को काट लिया। इस घटना ने उनकी छवि को और नुकसान पहुंचाया। उन्हें मुकाबले से अयोग्य घोषित कर दिया गया और उन पर भारी जुर्माना लगाया गया।

वापसी और नई जिंदगी

तनाजो और नाकामयाबी के बावजूद, माइक टायसन ने हार नहीं मानी। 2005 में, उन्होंने बॉक्सिंग से रिटायरमेंट की घोषणा की, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा दी।
उन्होंने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया और योग, ध्यान, और शाकाहार को अपनाया। टायसन ने अपनी आत्मकथा "अनडिस्प्यूटेड ट्रुथ" लिखी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और गलतियों के बारे में खुलकर बात की।
आज, माइक टायसन एक प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। वे विभिन्न कार्यक्रमों और इंटरव्यू में अपने अनुभव साझा करते हैं और लोगों को जीवन में सकारात्मकता अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

माइक टायसन की सफलता के सबक

संघर्ष से सीखना: टायसन की कहानी यह सिखाती है कि मुश्किलात कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर आपके पास पक्का इरादा और मेहनत है, तो आप कामयाब हो सकते हैं।

गलतियों से सबक लेना:
टायसन ने अपनी गलतियों को कुबूल किया और उन्हें सुधारने कि कोशिश की।

सेहत और नज्म व जप्त कि अहमियत: उनकी जिंदगी यह भी सिखाटी है कि जेह्नी और जीस्मानी सेहत को तर्जी देना कितना जरूरी है।

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Image Credit: https://www.gq.com/

मोहम्मद अली का अह्तेराम

प्रेरणा का जरिया:

माइक टायसन ने कई बार यह कहा है कि वे बचपन में मोहम्मद अली के मुकाबलों को देखकर मुतासीर हुए। टायसन ने अपने इंटरव्यू में कहा, "मोहम्मद अली ने मुझे यह सिखाया कि हार और जीत से बड़ी चीज है अपने आत्म-सम्मान व खुद एतेमादी और हौसले को बनाए रखना।"

"द ग्रेटेस्ट" के लिए बेपनाह अह्तेराम :

टायसन ने अली को हमेशा "द ग्रेटेस्ट" कहा। जब उनसे पूछा गया कि अगर वे अली से मुकाबला करते, तो कौन जीतता, टायसन ने बिना हिचक कहा, "अली मुझे हरा देते। मैं एक लड़ाकू हूं, लेकिन अली एक योद्धा थे।"

मोहम्मद अली के संघर्षों से मुतासीर:

अली ने बॉक्सिंग से बाहर अपने उसुलो के लिए भी लड़ाई लड़ी, जैसे कि वियतनाम जंग कि मुखालीफत और नस्ली मासावात कि हिमायत। टायसन ने इन पहलुओं से प्रेरणा ली और अली को न केवल एक बॉक्सर बल्कि एक समाजी जन्ग्जू व योद्धा के रूप में देखा।

यादगार वाकीयात

मोहम्मद अली और लैर्री होम्स का मुकाबला (1980):

इस मुकाबले में अली को हार का सामना करना पड़ा था। टायसन उस वक्त नवजवान थे और अली को इस तरह हारते हुए देखकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने बाद में कहा,

"मैंने खुद से वादा किया कि एक दिन मैं अली का बदला लूंगा।"

1988 में, माइक टायसन ने लैर्री होम्स के खिलाफ मुकाबला किया और उन्हें नॉकआउट कर दिया। यह टायसन के लिए व्यक्तिगत रूप से खास था क्योंकि वे इसे अली को समर्पित करना चाहते थे।

टायसन और अली का साथ मंच पर आना:

एक बार एक टीवी शो में, मोहम्मद अली और माइक टायसन साथ में मंच पर आए। उस वक्त अली ने मजाक में कहा, "अगर मैं टायसन के समय में होता, तो मैं उनसे कैसे बचता?"
इस पर टायसन ने जवाब दिया, "कोई आपसे मुकाबला नहीं कर सकता था। आप द ग्रेटेस्ट हैं।"

अली की बीमारी के समय टायसन का सम्मान:

जब मोहम्मद अली को पार्किंसन्स बिमारी हो गयी और वे अवामी तौर पर कम नजर आने लगे, तो टायसन ने कई बार उनकी हिमायत की। उन्होंने कहा,
"अली ने हमें दिखाया कि सच्चा चैंपियन रिंग के बाहर भी कैसा होता है।"

टायसन का जज्बाती पैगाम

2016 में, जब मोहम्मद अली का निधन हुआ, तो माइक टायसन ने बेहद जज्बाती होकर कहा,
"अली मेरे लिए एक वालेद की तरह थे। उन्होंने हमें सिखाया कि दुनिया में क्या सही है और क्या गलत। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।"

माइक टायसन की आत्मकथा "Undisputed Truth"

माईक टायसन ने अपनी आपबिती लिखी, जो 2013 में प्रकाशित हुई। यह किताब उनकी जिंदगी के हर पहलू को उजागर करती है—बॉक्सिंग करियर से लेकर जाती जिंदगी तक। किताब को उनके जिंदगी के संघर्षों, तनाजो और प्रेरणाओं की एक ईमानदार झलक माना जाता है। इसे सह-लेखक लैरी स्लोमन (Larry Sloman) के साथ लिखा गया है।

किताब की विशेषताएँ

1. जबरदस्त ईमानदारी और खुलापन:

माइक टायसन ने अपनी आपबिती में अपनी जिंदगी के बारे में बेबाकी से लिखा है। उन्होंने अपने करियर की ऊंचाइयों, विवादित पलों, और अपनी असफलताओं को बिना किसी झिझक के प्रस्तुत किया है। उनके शब्दों में ईमानदारी और साहस झलकता है, जिसने इसे पाठकों के बीच खास बनाया।

2. बचपन और संघर्ष:

टायसन ने अपने कठिन बचपन के बारे में बताया है। उनका पालन-पोषण ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क के खतरनाक इलाकों में हुआ, जहां उन्होंने गरीबी, अपराध, और हिंसा देखी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे बॉक्सिंग ने उनकी जिंदगी को बचाया और उन्हें दिशा दी।

3. कोच कुस ड’अमाटो का प्रभाव:

किताब में उनके कोच कुस ड’अमाटो का जिक्र बहुत अहम है। कुस ने टायसन को न केवल बॉक्सिंग सिखाई, बल्कि उन्हें आत्म-विश्वास और अनुशासन भी दिया। टायसन ने कुस को पिता के समान माना और उनकी मृत्यु को अपने जीवन का बड़ा झटका बताया।

4. बॉक्सिंग करियर की चमक और विवाद:

टायसन ने अपनी शुरुआती जीतों, वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बनने, और अपनी प्रसिद्धि के दिनों का जिक्र किया। उन्होंने ईवांडर होलीफील्ड के खिलाफ विवादित "कान काटने" वाले मैच और अन्य विवादों को भी विस्तार से बताया।

5. व्यक्तिगत संघर्ष:

किताब में टायसन ने अपने गुस्से, ड्रग्स, और अन्य बुरी आदतों के बारे में खुलकर लिखा है। उन्होंने अपने जेल के अनुभव और वहां इस्लाम धर्म अपनाने का जिक्र किया। यह भी बताया कि कैसे उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर अपने जीवन को फिर से सुधारा।

6. रिश्ते और परिवार:

टायसन ने अपनी पत्नियों, बच्चों, और रिश्तों के बारे में भी लिखा है। उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और बताया कि कैसे वे अब एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश कर रहे हैं

7. प्रेरणा और सीख:


टायसन ने यह दिखाया कि कठिनाइयों और गलतियों के बावजूद इंसान अपनी जिंदगी को बदल सकता है। उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि कैसे आत्म-सुधार और नई शुरुआत की जा सकती है

किताब का प्रभाव और लोकप्रियता

बेस्टसेलर: "Undisputed Truth" ने रिलीज होते ही बेस्टसेलर लिस्ट में जगह बनाई।

पाठकों और समीक्षकों की प्रशंसा:

इसे पाठकों और समीक्षकों ने बहुत सराहा, क्योंकि यह सिर्फ एक बॉक्सर की कहानी नहीं है, बल्कि इंसानी संघर्ष और बदलाव की भी कहानी है।

डॉक्यूमेंट्री:

किताब की सफलता के बाद, इस पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री और स्टेज शो भी बनाए गए।

निष्कर्ष

माइक टायसन की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपनी कमजोरियों और गलतियों के बावजूद दुनिया में अपनी पहचान बनाई। वे न केवल बॉक्सिंग के एक महान खिलाड़ी हैं, बल्कि उनके जीवन ने यह भी साबित किया है कि हर इंसान को दूसरा मौका मिलना चाहिए।
आज भी टायसन की गिनती दुनिया के सबसे प्रभावशाली और चर्चित खिलाड़ियों में होती है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है।

माइक टायसन, मोहम्मद अली को बेहद सम्मान देते थे और उन्हें अपनी प्रेरणा मानते थे। टायसन के लिए अली सिर्फ एक महान बॉक्सर नहीं थे, बल्कि एक आदर्श व्यक्ति थे जिन्होंने अपने कौशल, साहस, और आत्म-सम्मान से दुनिया को प्रभावित किया। आइए माइक टायसन और मोहम्मद अली के रिश्ते और उनकी यादगार बातों पर नजर डालते हैं।

तो दोस्तो आप को यह आर्टिकल कैसा लगा कॉमेंट कर के जरूर बताना ताके हमे और ऐसे आर्टिकल लिखने कि हिम्मत मिले.

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