मोहम्मद अजहरुद्दीन : करियर, रिकॉर्ड्स, विवाद और जीवन की कहानी
मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है जो अपनी कलात्मक बल्लेबाज़ी, कप्तानी की उपलब्धियों और विवादों के लिए जाना जाता है। उनकी कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक खिलाड़ी शिखर तक पहुँचता है, फिर विवादों में घिर जाता है, और अंततः राजनीति में कदम रखता है।
मोहम्मद
अजहरुद्दीन भारत के एक औज़ कद्बी क्रिकेटरों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी निख्राम काबिलीय और कीमाता की झलक दोनों पर छोड़ छोड़ छोड़
फेलाया. जब उन्होंने कापतानी की कमान ची,
तो भारत की टीम
ने कई बार मैच जीते. चलिए उनकी जीवनी,
क्रिकेट की
यात्राओं और कप्तानी की विश्लेष्य की जांकारी को विस्तार जानते हैं:
🧒 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- पूरा नाम: मोहम्मद अजहरुद्दीन
- जन्म: 8 फरवरी 1963,
हैदराबाद, भारत
- शिक्षा: ऑल सेंट्स हाई स्कूल,
हैदराबाद; ओस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातक
- बल्लेबाज़ी
शैली: दाएं हाथ के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़
- बोलिंग
शैली: दाएं हाथ के मीडियम पेसर
अजहरुद्दीन ने 10 वर्ष की आयु में क्रिकेट खेलना शुरू किया और हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी में 1981 में पदार्पण किया।
उनकी तकनीकी
दक्षता और कलात्मक शॉट्स ने उन्हें जल्दी ही राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर में ला
दिया।
🏏 क्रिकेट करियर
🔹 अंतरराष्ट्रीय पदार्पण
अजहरुद्दीन ने 1984-85 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और
पहले तीन टेस्ट मैचों में लगातार तीन शतक लगाकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि आज तक किसी अन्य खिलाड़ी ने
नहीं दोहराई है।
🔹 कप्तानी और उपलब्धियाँ
- कप्तानी
अवधि: 1990-2000
- टेस्ट में
कप्तानी: 47 मैचों में 14 जीत
- ODI में कप्तानी:
174 मैचों में 90 जीत
- एशिया कप
विजेता कप्तान: 1990-91 और 1995
अजहरुद्दीन की
कप्तानी में भारत ने कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट जीते और वे उस समय के सबसे सफल
कप्तानों में से एक माने जाते थे।
🔹 बल्लेबाज़ी रिकॉर्ड्स
- टेस्ट: 99 मैच,
6,215 रन, औसत 45.03,
22 शतक
- ODI: 334
मैच, 9,378 रन, औसत 36.92, 7 शतक
- ODI में सबसे तेज़ शतक:
62 गेंदों में, न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 1987
में
- ODI में उच्चतम स्कोर:
153* रन, ज़िम्बाब्वे के खिलाफ
उन्होंने ODI में 9,000 रन पूरे करने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज़
बनने का गौरव प्राप्त किया।
🧒व्यक्तिगत जीवन, पहली पत्नी से तलाक और दूसरी पत्नी संगीता
बिजलानी से शादी
मोहम्मद
अज़हरुद्दीन भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे रहे हैं। एक बेहतरीन बल्लेबाज़ और सफल
कप्तान के रूप में उन्होंने भारत का नेतृत्व किया। उनके क्रिकेट करियर के साथ-साथ
उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी हमेशा चर्चा में रही है – खासकर उनकी शादियां और तलाक।
पहली शादी: नौरीन से संबंध
- अज़हरुद्दीन
ने अपनी पहली शादी साल 1987
में नौरीन नाम की महिला से की थी।
- इस दंपति
के दो बेटे हुए – असद और अयाजुद्दीन।
- यह एक
पारंपरिक मुस्लिम विवाह था और शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था।
परंतु, 1990 के दशक के मध्य में जब अज़हरुद्दीन बॉलीवुड अभिनेत्री संगीता बिजलानी के करीब आए, तब उनकी पहली शादी में दरार आनी शुरू
हुई।
तलाक और विवाद:
- अज़हरुद्दीन
और संगीता बिजलानी के रिश्ते ने मीडिया में काफी सुर्खियाँ
बटोरीं।
- यह रिश्ता
सार्वजनिक होते ही नौरीन और
अज़हर के बीच तनाव बढ़ा और अंततः उन्होंने तलाक ले लिया।
- तलाक के
वक्त यह मामला काफी विवादास्पद बन गया क्योंकि संगीता बिजलानी उस
समय पहले से ही बॉलीवुड में एक स्थापित अभिनेत्री थीं और उनका नाम पहले
क्रिकेटर सलमान खान से भी जोड़ा गया था।
दूसरी शादी: संगीता बिजलानी से विवाह
- तलाक के
बाद, अज़हरुद्दीन ने संगीता बिजलानी से
शादी कर ली।
- यह शादी भी
खूब चर्चा में रही, खासकर क्योंकि यह एक मुस्लिम और हिंदू के बीच विवाह था, जो कि उस समय कई लोगों के लिए असामान्य था।
- शादी के
बाद संगीता ने फिल्मों से दूरी बना ली और अपने वैवाहिक जीवन पर ध्यान देने
लगीं।
शादी का टूटना और अलगाव:
- कई सालों
तक साथ रहने के बाद, संगीता और अज़हरुद्दीन के रिश्ते
में भी दूरियाँ आने लगीं।
- मीडिया
रिपोर्ट्स के अनुसार, अज़हरुद्दीन का नाम एक अन्य महिला
से जुड़ा, जिससे संगीता आहत हुईं।
- इसके बाद
दोनों के बीच अलगाव हो गया। हालांकि,
कानूनी रूप
से तलाक की स्थिति स्पष्ट नहीं है, परंतु वे अब
साथ नहीं
रहते।
🏏 मैच फिक्सिंग विवाद और प्रतिबंध
मोहम्मद
अज़हरुद्दीन, भारतीय
क्रिकेट के इतिहास में एक बेहतरीन बल्लेबाज़ और कप्तान के रूप में जाने जाते हैं।
उन्होंने 1984 में
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था और अपने करियर के शुरुआती तीन टेस्ट
मैचों में लगातार तीन शतक जड़कर क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया था। उन्होंने
भारत के लिए 99 टेस्ट
और 334 वनडे
मैच खेले। लेकिन उनके करियर का दुखद मोड़ आया साल 2000 में,
जब उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे और उनका क्रिकेट करियर अचानक थम गया।
मैच फिक्सिंग विवाद की शुरुआत
1990 के
दशक के अंत में क्रिकेट में भ्रष्टाचार और सट्टेबाज़ी के काले बादल मंडराने लगे
थे। कई देशों के खिलाड़ी संदेह के घेरे में आ रहे थे। भारत में यह विवाद तब ज़ोर
पकड़ा जब दिल्ली पुलिस ने एक सट्टेबाज़ हैंसि क्रोन्ये (दक्षिण अफ्रीकी कप्तान)
के टेलीफोन कॉल्स रिकॉर्ड किए,
जिसमें वह फिक्सिंग के बारे में बात कर रहा था।
इस जांच में धीरे-धीरे कई भारतीय खिलाड़ियों के नाम सामने
आने लगे, जिनमें
अज़हरुद्दीन का नाम प्रमुख रूप से लिया गया।
सीबीआई जांच और प्रतिबंध
भारत सरकार ने इस मामले की जांच के लिए CBI
(केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को
जिम्मेदारी सौंपी। 2000
में CBI ने
एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें
कहा गया कि मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने मैच फिक्सिंग में भाग लिया था और अन्य
खिलाड़ियों को भी इसमें शामिल किया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि अज़हर
ने कुछ बुकीज़ से पैसे लेकर जानबूझकर मैच में खराब प्रदर्शन किया।
इस रिपोर्ट के आधार पर, भारतीय
क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने
अज़हरुद्दीन पर
आजीवन प्रतिबंध (life ban) लगा दिया। यह
प्रतिबंध उनके क्रिकेट करियर का लगभग अंत था,
क्योंकि उस समय वह अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और विवाद
इस निर्णय ने क्रिकेट जगत में भूचाल ला दिया। अज़हरुद्दीन
ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा और कहा कि उन्हें बिना ठोस सबूत के बलि का बकरा
बनाया गया है। लेकिन तब तक मीडिया और आम जनता की निगाहों में उनकी छवि धूमिल हो
चुकी थी।
कानूनी लड़ाई और राहत
अज़हरुद्दीन ने BCCI
के इस प्रतिबंध के खिलाफ कोर्ट का रुख किया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध अवैध
है और उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है। कई वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, 2012 में
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट
ने यह फैसला दिया कि अज़हरुद्दीन पर लगाया गया आजीवन प्रतिबंध गैरकानूनी था।
इस फैसले के बाद अज़हर को कानूनी रूप से राहत मिली, लेकिन तब तक
वह उम्रदराज हो चुके थे और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी का कोई सवाल नहीं था।
🏛 विवाद के बाद का जीवन
क्रिकेट से अलग होने के बाद अज़हरुद्दीन ने राजनीति की ओर
रुख किया। उन्होंने
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से
जुड़कर 2009
में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा
चुनाव जीता। इसके अलावा वह समय-समय पर क्रिकेट के आयोजनों और कमेंट्री से भी जुड़े
रहे।
वर्षों बाद,
जब लोगों की सोच बदली,
तब अज़हरुद्दीन को एक
सहानुभूति भरा दृष्टिकोण भी मिला, खासकर तब जब
उनकी जीवन पर आधारित फिल्म
"अज़हर" (2016) रिलीज़ हुई।
इस फिल्म में इमरान हाशमी ने उनका किरदार निभाया और मैच फिक्सिंग विवाद के दूसरे
पक्ष को दिखाने की कोशिश की गई।
🏛 राजनीतिक करियर
क्रिकेट से संन्यास के बाद, अजहरुद्दीन ने 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से राजनीति में प्रवेश किया और मुरादाबाद से लोकसभा सांसद चुने गए। हालांकि, 2014 में वे चुनाव हार गए।
🏆 पुरस्कार और सम्मान
- अर्जुन
पुरस्कार: 1986 में
- विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर: 1991 में
🏏 वन डे इंटरनेशनल (ODI) रिकॉर्ड
🔹 बैटिंग |
🔹 बॉलिंग |
🔹 फील्डिंग |
🔹 कप्तानी (ODI) |
मैच – 334 |
ओवर्स – 79.3 |
कैचेस – 156 |
कुल मैच – 174 |
इनिंग्स – 308 |
विकेट्स – 12 |
सर्वाधिक कैच – 3 |
जीते – 90 |
नॉट आउट – 54 |
बेस्ट – 3/19 |
हारे – 76 |
|
कुल रन – 9,378 |
इकोनॉमी – 4.11 |
टाई/नो रिजल्ट – 8 |
|
औसत – 36.92 |
जीत प्रतिशत – 51.72% |
||
फोर (4s) – ~620 |
|||
सिक्स (6s) – ~50 |
|||
हाइयेस्ट
स्कोर – 153* |
|||
स्ट्राइक रेट – ~74.02 |
|||
शतक – 7 |
|||
अर्ध्यशतक – 58 |
🏏 टेस्ट क्रिकेट रिकॉर्ड
🔹 बैटिंग |
🔹 बॉलिंग |
🔹 फील्डिंग |
🔹 कप्तानी (टेस्ट) |
मैच – 99 |
ओवर्स – 27 |
कैचेस – 105 |
कुल मैच – 47 |
इनिंग्स – 147 |
विकेट्स – 0 |
सर्वाधिक कैच – 3 |
जीते – 14 |
नॉट आउट – 9 |
हारे – 14 |
||
कुल रन – 6,215 |
ड्रॉ – 19 |
||
औसत – 45.03 |
जीत प्रतिशत – ~29.78% |
||
हाईएस्ट स्कोर – 199 |
|||
शतक – 22 |
|||
अर्ध्यशतक – 21 |
|||
स्ट्राइक रेट – ~64.0 |
🏏 कप्तान के रूप में अन्य भारतीय कप्तानों की तुलना
कप्तान |
कप्तानी की अवधि |
मैच |
जीत |
हारे |
टाई |
नो रिज़ल्ट |
जीत % |
एम.एस. धोनी |
2007–2018 |
200 |
110 |
74 |
5 |
11 |
55.00% |
अजहरुद्दीन |
1990–1999 |
174 |
90 |
76 |
2 |
6 |
51.72% |
गांगुली |
1999–2005 |
146 |
76 |
65 |
0 |
5 |
52.05% |
कोहली |
2013–2021 |
95 |
65 |
27 |
1 |
2 |
68.42% |
द्रविड़ |
2000–2007 |
79 |
42 |
33 |
0 |
4 |
53.16% |
कपिल देव |
1982–1987 |
74 |
39 |
33 |
0 |
2 |
52.70% |
तेंदुलकर |
1996–2000 |
73 |
23 |
43 |
1 |
6 |
31.50% |
गावस्कर |
1980–1985 |
37 |
14 |
21 |
0 |
2 |
37.83% |
🏏 निष्कर्ष
मोहम्मद
अजहरुद्दीन की कहानी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनकी बल्लेबाज़ी की कला, कप्तानी की उपलब्धियाँ और विवादों से भरा जीवन उन्हें एक जटिल लेकिन
प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाता है।
🏏 पाठकों के लिए विचारणीय प्रश्न
मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कप्तानी और उनके क्रिकेट करियर का
अंत आज भी बहस का विषय बना हुआ है। क्या उनके साथ नाइंसाफी हुई? क्या उन्हें पर्याप्त
मौका नहीं मिला अपनी बेगुनाही साबित करने का?
सोचने वाली बात है कि अगर अज़हर को अपनी उम्र रहते एक और
मौका मिलता, तो क्या वे भारत के सबसे सफल कप्तानों और बल्लेबाज़ों में से एक बन सकते
थे? क्या उनके नाम और रिकॉर्ड आज कहीं ऊँचाई पर होते?
FAQ
1. मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भारतीय टीम के लिए कितने मैच खेले?
अजहरुद्दीन ने भारत के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले। उन्होंने टेस्ट में 6,215 रन और वनडे में 9,378 रन बनाए।
2. अजहरुद्दीन का डेब्यू कब और किस टीम के खिलाफ हुआ था?
उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू 31 दिसंबर 1984 को इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता (ईडन गार्डन्स) में किया था। उस मैच में उन्होंने शानदार शतक लगाया था।
3. अजहरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग का आरोप कब लगा और क्या हुआ?
साल 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा, जिसके बाद BCCI ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने यह प्रतिबंध गैरकानूनी करार दिया।
4. क्या अजहरुद्दीन ने क्रिकेट के बाद राजनीति में कदम रखा?
हाँ, उन्होंने 2009 में कांग्रेस पार्टी से मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा।
5. क्या अजहरुद्दीन पर कोई फिल्म भी बनी है?
जी हाँ, साल 2016 में रिलीज़ हुई फिल्म "अजहर" मोहम्मद अजहरुद्दीन की ज़िंदगी पर आधारित थी। इसमें उनका किरदार इमरान हाशमी ने निभाया था।
अब सवाल आपसे –
आपको क्या लगता
है?
क्या
अज़हरुद्दीन को दूसरा मौका मिलना चाहिए था?
क्या BCCI का फैसला जल्दबाज़ी में लिया गया था?
क्या इतिहास ने उनके साथ न्याय किया?
अपनी राय हमें कमेंट में ज़रूर बताएं। आपका नजरिया इस कहानी
को एक नया दृष्टिकोण दे सकता है।