बच्चों में बढ़ती आक्रामकता, नैतिक मूल्यों की गिरावट और शिक्षा पर प्रभाव – एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
आज के आधुनिक दौर में बच्चों में आक्रामकता (Aggression) बढ़ती जा रही है, जिससे उनके नैतिक मूल्य (Moral Values) और शैक्षणिक प्रदर्शन (Academic Performance) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। माता-पिता का बच्चों को पर्याप्त समय न देना, अत्यधिक स्क्रीन टाइम (TV, मोबाइल, वीडियो गेम), और अनुशासन की कमी जैसी समस्याएँ इस स्थिति को और भी गंभीर बना रही हैं। इस लेख में हम इन समस्याओं के मनोवैज्ञानिक कारण, उनके प्रभाव और संभावित समाधान पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
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Child-Aggression |
बच्चों में आक्रामकता के मनोवैज्ञानिक कारण
1. मनोदशा संबंधी विकार (Mood Disorders):
o कई बच्चों में डिप्रेशन (Depression) और एंग्जायटी (Anxiety) जैसी मानसिक समस्याएँ पाई जाती हैं, जिनकी वजह से वे
चिड़चिड़े और गुस्सैल हो सकते हैं।
o शोध बताते हैं
कि जब बच्चों की भावनाओं को सही तरीके से समझा नहीं जाता, तो वे अपने गुस्से को हिंसा के रूप में
व्यक्त करने लगते हैं।
2. व्यवहार संबंधी विकार (Conduct Disorders):
o कंडक्ट डिसऑर्डर
(Conduct Disorder) से ग्रसित बच्चे समाज के नियमों का पालन नहीं
करते, गुस्सा जल्दी
आता है और कई बार वे हिंसक व्यवहार करने लगते हैं।
o अटेंशन डेफिसिट
हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) वाले बच्चों में
भी धैर्य की कमी होती है, जिससे वे ज्यादा
आक्रामक हो सकते हैं।
3. डिजिटल एडिक्शन और स्क्रीन टाइम का प्रभाव:
o अत्यधिक वीडियो
गेम्स, सोशल मीडिया और
हिंसक कंटेंट देखने से बच्चों का सहानुभूति (Empathy) कम हो जाता है और वे असली जीवन में भी आक्रामक हो सकते हैं।
o "American
Psychological Association" की एक रिपोर्ट के अनुसार,
हिंसक वीडियो
गेम्स खेलने वाले बच्चों में आक्रामकता का स्तर अधिक होता है।
4. परिवारिक तनाव और माता-पिता का समय न देना:
o माता-पिता का
झगड़ा, तलाक, या घर का नकारात्मक माहौल बच्चों को आक्रामक
बना सकता है।
o यदि माता-पिता
बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते, तो वे भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करने लगते हैं, जिससे वे गुस्सैल हो सकते हैं।
5. शिक्षा प्रणाली और सामाजिक दबाव:
o अधिक
प्रतिस्पर्धा और माता-पिता द्वारा डाला गया पढ़ाई का दबाव भी बच्चों में तनाव और
आक्रामकता को जन्म दे सकता है।
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बच्चों में नैतिक मूल्यों की गिरावट और शिक्षा पर प्रभाव
1. नैतिक मूल्यों की कमी:
o जब बच्चों को
सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, तो उनमें ईमानदारी, सहानुभूति, अनुशासन और संयम जैसे नैतिक गुण विकसित नहीं हो पाते।
o परिवार और समाज
से दूर होने पर वे गलत संगति में पड़ सकते हैं।
2. शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव:
o गुस्सा और
चिड़चिड़ापन होने के कारण ध्यान केंद्रित
करने में कठिनाई होती है।
o माता-पिता का
सपोर्ट न मिलने से बच्चों का आत्मविश्वास (Self-Confidence) कम हो जाता है, जिससे वे पढ़ाई
में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।
o स्क्रीन टाइम
ज्यादा होने से मस्तिष्क की
कार्यक्षमता (Cognitive Abilities) प्रभावित होती है, जिससे स्मरण शक्ति कमजोर होती है।
माता-पिता का बच्चों को समय न देना – एक गंभीर समस्या
आजकल माता-पिता अपने करियर और अन्य
जिम्मेदारियों में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण समय (Quality Time) नहीं दे पा रहे हैं। इसका बच्चों की मानसिकता, व्यवहार और शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
1. माता-पिता का समय न देने के कारण:
· व्यस्त
जीवनशैली: नौकरी और
व्यापार के दबाव के कारण माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय नहीं होता।
· डिजिटल
व्यस्तता: माता-पिता खुद
भी मोबाइल और सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं।
· संयुक्त
परिवारों की कमी: पहले दादा-दादी
बच्चों को नैतिक शिक्षा देते थे,
लेकिन अब वे
अकेलेपन का सामना कर रहे हैं।
2. बच्चों पर प्रभाव:
· भावनात्मक दूरी: बच्चे माता-पिता से खुलकर बात नहीं कर पाते।
· गुस्सा और
चिड़चिड़ापन: माता-पिता का
ध्यान आकर्षित करने के लिए वे गुस्सा करते हैं।
· गलत संगति: माता-पिता का मार्गदर्शन न मिलने पर वे
नकारात्मक प्रभाव में आ सकते हैं।
3. समाधान:
· हर दिन कुछ समय
बच्चों के साथ बिताएँ।
· संयुक्त
गतिविधियाँ करें (साथ में खाना
खाना, खेलना, कहानियाँ सुनना)।
· बच्चों की बातों
को ध्यान से सुनें और प्रतिक्रिया दें।
· सप्ताह में एक
दिन ‘No Screen Day’ रखें।
· शिक्षा और
संस्कार दोनों पर ध्यान दें।
समाधान – बच्चों को सही दिशा कैसे दें?
1. मनोवैज्ञानिक चिकित्सा (Therapy) का सहारा लें:
o CBT (Cognitive
Behavioral Therapy) बच्चों की
आक्रामक प्रवृत्ति को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
2. शिक्षकों और माता-पिता को प्रशिक्षण दें:
o माता-पिता को Positive Parenting Techniques अपनाने चाहिए।
3. स्कूल में नैतिक शिक्षा (Moral Education) को बढ़ावा दें:
o संस्कार और
नैतिकता से जुड़ी
किताबें और कहानियाँ पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
4. फिजिकल एक्टिविटी और मेडिटेशन:
o योग और खेल-कूद
से बच्चों की मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
भारत में बच्चों में आक्रामकता के मामले – आंकड़े और रिपोर्ट
· नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2019 के अनुसार, भारत में किशोर अपराधों (Juvenile Crimes) की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
· एक WHO रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15-24 वर्ष के बीच के लगभग 38% युवा किसी न किसी मानसिक तनाव या गुस्से की
समस्या से जूझ रहे हैं।
· Newstrack.com के अनुसार, 35.8% से अधिक किशोर मानसिक तनाव, अनिद्रा, अकारण भय, और पारिवारिक
हिंसा के कारण आक्रामक बन रहे हैं। (Source)
निष्कर्ष
बच्चों में बढ़ती आक्रामकता और नैतिक मूल्यों
की गिरावट के पीछे कई मनोवैज्ञानिक, पारिवारिक और सामाजिक कारण जिम्मेदार हैं।
· सबसे बड़ी
समस्या माता-पिता द्वारा बच्चों को समय न देना है।
· स्क्रीन टाइम और
डिजिटल एडिक्शन भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।
· इस समस्या का
समाधान माता-पिता, शिक्षकों और
समाज के सामूहिक प्रयास से ही संभव है।
यदि बच्चों को बचपन से ही सही मार्गदर्शन, प्यार और अनुशासन मिले, तो वे एक जिम्मेदार और सफल इंसान बन सकते
हैं।
FAQ
·
बच्चों में आक्रामकता बढ़ने के मुख्य
कारण क्या हैं?
o
मनोदशा संबंधी विकार (जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी),
अत्यधिक स्क्रीन
टाइम, परिवारिक तनाव और शिक्षा का बढ़ता दबाव
इसके प्रमुख कारण हैं।
·
बच्चों के नैतिक मूल्यों में गिरावट
क्यों आ रही है?
o
परिवार और समाज से उचित मार्गदर्शन की
कमी, अनुशासन और संस्कारों की अनदेखी, और हिंसक डिजिटल कंटेंट इसके मुख्य कारण हैं।
·
स्क्रीन टाइम बच्चों के व्यवहार को कैसे
प्रभावित करता है?
o
अत्यधिक स्क्रीन टाइम से सहानुभूति (Empathy) की भावना कम होती है,
ध्यान केंद्रित
करने की क्षमता घटती है और आक्रामकता बढ़ सकती है।
·
माता-पिता द्वारा बच्चों को समय न देने
से क्या प्रभाव पड़ता है?
o
बच्चे भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस
करने लगते हैं, वे गुस्सैल और चिड़चिड़े हो सकते हैं, और गलत संगति में जाने की संभावना बढ़ जाती है।
·
शिक्षा प्रणाली बच्चों के मानसिक
स्वास्थ्य पर कैसे असर डालती है?
o
अधिक प्रतिस्पर्धा, उच्च प्रदर्शन की उम्मीद और परीक्षा का दबाव बच्चों में
तनाव और आक्रामकता बढ़ा सकता है।
·
बच्चों में आक्रामकता कम करने के लिए
माता-पिता क्या कर सकते हैं?
o
बच्चों के साथ नियमित समय बिताएँ, सकारात्मक अनुशासन (Positive
Parenting) अपनाएँ और उनकी
भावनाओं को समझकर संवाद करें।
·
बच्चों के नैतिक मूल्य कैसे सुधारे जा
सकते हैं?
o
नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दें, परिवार में संस्कारों और नैतिक मूल्यों पर ध्यान दें, और बच्चों को अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित करें।
·
क्या योग और मेडिटेशन बच्चों के व्यवहार
में सुधार कर सकते हैं?
o
हाँ,
योग और मेडिटेशन
से आत्मनियंत्रण और मानसिक शांति मिलती है,
जिससे गुस्से को
नियंत्रित करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
·
क्या आक्रामक बच्चों के लिए मनोवैज्ञानिक
चिकित्सा (Therapy) फायदेमंद हो सकती
है?
o
हाँ,
Cognitive Behavioral Therapy (CBT) और काउंसलिंग से बच्चों की आक्रामकता कम करने और मानसिक
संतुलन सुधारने में मदद मिल सकती है।
·
स्कूल में नैतिक शिक्षा बढ़ाने से बच्चों
के व्यवहार में सुधार कैसे हो सकता है?
·
नैतिक कहानियाँ, ग्रुप एक्टिविटीज और संस्कार आधारित शिक्षण बच्चों को सही
मूल्य और अनुशासन सिखाने में मदद कर सकते हैं।
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